चोमू से महज 13 किमी दूर चौमूं चंदवाजी स्टेट हाईवे पर बसे ग्राम चीथवाड़ी में अरावली पर्वतमाला के शिखर पर श्रवण माता का प्राचीन मंदिर है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में मेला लगता है।
चीथवाड़ी। चौमूं से महज 13 किमी दूर चौमूं चंदवाजी स्टेट हाईवे पर बसे ग्राम चीथवाड़ी में अरावली पर्वतमाला के शिखर पर श्रवण माता का प्राचीन मंदिर है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में मेला लगता है। पुजारी रामनारायण शर्मा ने बताया कि किंवदंती है कि संवत् 1132 में पहाड़ी पर गुमटीनुमा मंदिर में सरुण्ड माता के नाम से मंदिर की स्थापना की थी। कालांतर में लोग धीरे-धीरे सरुण्ड माता को श्रवण माता कहने लगे और वर्तमान में यह श्रवण माता के नाम से पूजी जाती है।
किंवदंती है कि यहां से हर साल भक्तों का जत्था कोटपूतली के पास सरुण्ड गांव स्थित माता के मंदिर में मत्था टेकने जाते थे। भक्तों ने माता से उनके गांव में स्थापित होने की विनती की तो सरुण्ड माता ने अपने नाम का पत्थर उठाकर साथ ले जाने का आदेश दिया। जिस पर भक्त कोटपूतली के पास सरुण्ड गांव से माता के नाम का पत्थर बैलगाड़ी में रख ला रहे थे कि चीथवाड़ी स्थित पहाड़ी के रास्ते में बैलगाड़ी स्वतः ही रुक गई और आगे नहीं बढ़ी।
इस पर श्रद्धालुओं ने गुमटीनुमा मंदिर बनाकर माता के शक्ति मंदिर की स्थापना की, जो कालांतर में अपने चमत्कार और कृपा के चलते जन-जन की आस्था का केंद्र बन गया। माता अपनी कई चमत्कारी शक्तियों, दांपत्य सुख और वंश वृद्धि के लिए पूजी जाती है। यहां जयपुर सहित कोटा, बूंदी, बारां, मध्यप्रदेश व अन्य कई जिलों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां श्रद्धालु गठजोड़े की जात देने, जडूला उतारने, जागरण व सवामणी करने आते हैं।