बेटी का बलात्कार करने पर जज ने दोषी पिता को सुनाई ये चौपाई, फिर ता-उम्र भेजा सलाखों के पीछे

बेटी का बलात्कार करने पर जज ने दोषी पिता को सुनाई ये चौपाई, फिर ता-उम्र भेजा सलाखों के पीछे

locationकोटा । नोहर तेज़

पॉक्सो क्रम संख्या-3 के न्यायाधीश दीपक दुबे ने नाबालिग पुत्री से बलात्कार करने के एक मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी कलियुगी पिता को अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई। वहीं 10 हजार रुपए अर्थदण्ड से दंडित किया। साथ ही पीड़ित प्रतिकर में पीड़िता को 10 लाख रुपए देने की अनुशंसा की।

नोहर तेज़ न्यूज़ नेटवर्क/कोटा. पॉक्सो क्रम संख्या-3 के न्यायाधीश दीपक दुबे ने नाबालिग पुत्री से बलात्कार करने के एक मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी कलियुगी पिता को अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई। वहीं 10 हजार रुपए अर्थदण्ड से दंडित किया। साथ ही पीड़ित प्रतिकर में पीड़िता को 10 लाख रुपए देने की अनुशंसा की।


...तो श्रीराम बोले
न्यायाधीश ने फैसला सुनाते समय रामचरित मानस की चौपाई सुनाई।
अनुज बधू भगिनी सुत नारी।
सुनु सठ कन्या सम ए चारी।।
इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई।
ताहि बधें कछु पाप न होई।।

चौपाई सुनाते हुए कहा कि मरते समय बाली ने श्रीराम से पूछा था कि उसका वध क्यों किया। तब श्रीराम ने कहा था कि ...(चौपाई का भावार्थ) हे मूर्ख ! सुन, छोटे भाई की स्त्री, बहन, पुत्र की पत्नी, यह सभी कन्या के समान हैं। इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कोई पाप नहीं होता। प्रकरण के अनुसार 26 जनवरी 2023 को लड़की (वर्तमान में आयु 21) घर की रसोई में खाना बना रही थी। उसकी मां सब्जी लेने बाजार गई थी, जबकि छोटी बहन मलखंभ का प्रशिक्षण लेने अखाड़े गई थी। घर में पिता ने बेटी को अकेला पाकर पकड़ लिया। उसे कमरे में ले जाकर बलात्कार किया। मां घर आई तो बेटी रो रही थी, इसका कारण मां ने पूछा तो उसने सब बता दिया। पिता के इस कृत्य पर मां झगड़ पड़ी। दोनों के बीच झगड़ा हुआ। लोक-लाज के कारण मां ने इसकी रिपोर्ट पुलिस थाने में नहीं दी।

पुत्री को उसके बड़े पिता के पास भेज दिया। बाद में 9 मार्च 2023 को पीड़िता ने मां के साथ शहर के एक थाने में पिता के खिलाफ रिपोर्ट दी। तब पीड़िता ने बताया कि उसका पिता 14 साल की आयु से ही उससे बलात्कार कर रहा है।

प्रकरण में आरोपी पिता को धारा 5 एल /6 पॉक्सो एक्ट में सजा सुनाई है। इस धारा में मृत्युदण्ड का प्रावधान है। लोक अभियोजक ललित कुमार शर्मा ने न्यायाधीश के समक्ष कहा कि इस प्रकरण में मृत्युदण्ड का प्रावधान है और निवेदन किया कि आरोपी को मृत्युदण्ड दिया जाए। न्यायाधीश ने कहा कि मृत्युदण्ड से आरोपी प्रायश्चित नहीं कर सकेगा। आरोपी को अंतिम सांस तक कारावास दिया जाए, ताकि वह ताउम्र सलाखों के पीछेतड़पे और अपने पाप का प्रायश्चित कर सके।